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शम्आ को छोड़ के अक्सर ये परवाने नहीं जाते

दिल की बातें दिल से
दिल की बातें दिल से
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कभी भी छोडकर शम्मा को परवाने नहीं जाते।

फ़ना1 हो जाते हैं लेकिन ये दीवाने नहीं जाते॥


मोहब्बत करने वाले छोड़ जाते हैं निशां अपने,

जहां से उनके चर्चे और अफ़साने2 नहीं जाते॥


ख़ुदा का नाम लेकर भीड़ से आगे निकल वरना,

जो पीछे रहते हैं वो लोग पहचाने नहीं जाते॥


वो ज़र्रे ज़र्रे में है बात गर ये हम समझ लेते,

तो उसको ढूढ़ने मस्जिद सनमख़ाने3 नहीं जाते॥


बहुत से लोग होते हैं खुशी, इशरत4, मसर्रत5 में,

अगर ग़म आए न तो दोस्त पहचाने नहीं जाते॥


सबब6 कुछ तो रहा होगा किसी पे जां लुटाने का,

कहीं पर ऐसे तो हम दिल को बहलाने नहीं जाते॥


कई पैमाने उन आँखों में मैंने देखे हैं “सूरज”,

पिला देते वो नज़रों से तो मैख़ाने नहीं जाते॥


डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”

1. फ़ना=तबाह होना, मर जाना  2. अफ़साना=कहानी, किस्सा 3.  सनमख़ाना=मंदिर,

बुतख़ाना  4. इशरत=आनंद 5.  मसर्रत=ख़ुशी 6. सबब= कारण

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