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मुबारक हो सबको नया साल यारों, पुराने मे गड़बड़ घोटाला हुआ है॥
नया चाँद चमकेगा नीले गगन मे, पुराने का मुँह आज काला हुआ है॥
कितनों को लूटा, कितनों को मारा, कितनों की किस्मत का डूबा सितारा।
वतन की भी नैया पड़ी है भवंर में, बेसुध इसे खेने वाला हुआ है॥
कहीं छूरी चाकू कहीं बम धमाके, कहीं गुंडागर्दी कहीं चोरी डाके॥
चारों तरफ आग नफरत की फैली, चैनों अमन में घोटाला हुआ है॥
कितनों ने झेली है सीने पे गोली, मनाया नहीं कितनों ने ईद होली।
कितनों ने खुशियों के फोड़े पटाखे, कितनों का सोचो दिवाला हुआ है॥
गए जेल कितने घोटालों मे फंस कर, रंगीन भंवरी के जालों मे फँसकर।
सभी भ्रष्टाचारी सहम से गए है, अन्ना का भी बोलबाला हुआ है॥
शीला जवाँ भी हुई साल भर में, बदनाम मुन्नी हुई देश भर में,
जलेबी जी नाची हैं खुल के सड़क पे, चिकनी चमेली से पाला हुआ है॥
कभी प्याज आलू ने आँसू रुलाया, कभी तेल पेट्रोल ने है सताया।
मंहगाई ने भी कमर तोड़ डाली, दूभर अब मुँह का निवाला हुआ है॥
अन्ना ने अनशन किया खूब थम के, नेता मिनिस्टर लड़े खूब जम के।
लटका दिया बिल को संसद मे मिल के, लोकपाल पर भी बवाला हुआ है॥
ख़ुदा सबके दामन को खुशियों से भर दे, “सूरज” नए साल मे खूब चमके॥
नए साल के रंग को देख करके, मौसम का रुख़ भी निराला हुआ है॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”
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