Menu
blogid : 7037 postid : 141

अश्क़ों से अपने गाल भिगोया कभी नहीं

दिल की बातें दिल से
दिल की बातें दिल से
  • 47 Posts
  • 1463 Comments

crying-woman

ग़म-ए-ज़िंदगी1 से डरके मैं रोया कभी नहीं॥

2 से अपने गाल भिगोया कभी नहीं॥


हर सिम्त3 है धुआं यहाँ हर सिम्त आग है,

इस खौफ़4 से ही चैन से सोया कभी नहीं॥


दिल में जिगर में था वही साँसों में था वही,

आँखों के सामने से वो खोया कभी नहीं॥


ख़ुशबू बदन की उसके ना उड़ जाये इसलिए,

बिस्तर की अपने चादरें धोया कभी नहीं॥


लेकर बहुत से दर्द वो चुपचाप मर गया,

कांटे किसी की राह मे बोया कभी नहीं॥


मज़बूरियाँ थी ज़िंदगी भर साथ में मगर,

रिश्तों को बोझ समझ के ढोया कभी नहीं॥


यह सोचकर कि फूल के सीने में भी है दिल,

“सूरज” सुई से हार पिरोया कभी नहीं॥


डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”

ग़म-ए-ज़िंदगी1 =जीवन का दुख, अश्क़2 = आँसू,  सिम्त3= दिशा,  खौफ़4=डर

*चित्र गूगल से साभार

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to praveen tiwari 'raunak'Cancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh