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रात को चाँद जब निकलता हैं

दिल की बातें दिल से
दिल की बातें दिल से
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रात को चाँद जब निकलता हैं।
कितनी आँखों मे ख़्वाब पलता है॥

जब कभी तेरी याद आती है,
दिल चरागों की तरह जलता है॥

क्या हुआ दिल को आजकल मेरे,
जाने क्यूँ बच्चों सा मचलता है॥

ख़ुश परिंदा है रिहाई से मगर,
कफ़स* से नाता उसे खलता है॥

धूप की तरह तुम निकलती हो,
दिल मेरा बर्फ सा पिघलता है॥

शाम टल जाये,सुब्बह टल जाये,
मौत का वक़्त कहाँ टलता है॥

इश्क़ है आग का दरिया “सूरज”,
इश्क़ पे ज़ोर किसका चलता है॥

*क़फ़स=पिंजड़ा

डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज” drsuryabali.com

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