दिल की बातें दिल से
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दिल से नफ़रत को हटाकर देखो।
थाल पूजा के सजाकर देखो॥
आ गई नूर भरी दिवाली,
दीप खुशियों के जलाकर देखो॥
जश्न है, शोर है पटाखों का,
फूलझड़ियों को छुड़ाकर देखो॥
खूबसूरत लगेगी ये दुनिया,
तीरगी दिल की मिटाकर देखो॥
दो कदम बढ़ के भरो बाहों मे,
ज़िद की दीवार गिराकर देखो॥
साथ था कारवां कभी मेरे,
अब मैं तन्हा हूँ ये आकर देखो॥
फूल ही फूल नज़र आएंगे,
राह से खार हटाकर देखो॥
दिल को आराम मिलेगा तेरे,
रोते बच्चे को हँसाकर देखो॥
होके मदहोश सभी झूमेंगे,
जाम नज़रों से पिलाकर देखो॥
ये जहां साथ गुनगुनाएगा,
तुम ग़ज़ल मेरी तो गाकर देखो॥
दौड़ा “सूरज” भी चला आएगा,
दिल से इकबार बुलाकर देखो॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”
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